सभी भग्नि बंधुओं को हर हर महादेव 🙏🙏🙏

बहुत दिनों से मन में यह विचार आ रहा था कि इस विषय पर लिखूं और मैं लिखना चाह भी रहा था लेकिन मैं उपयुक्त समय की प्रतीक्षा में था और मुझे लगता है कि अब अपनी बात रखने का उपयुक्त समय आ गया है।

बात असल में यह है कि “चिर निद्रा से ग्रसित हिंदू समाज” अभी भी अपने जागरण की चेष्ठा में लगा हुआ है और जाग चुके कुछ हिंदूओं में अब एक नया खेल शुरू हो चुका है

“जो हिंदू समाज के विरुद्ध जाता दिखे उसके बहिष्कार का खेल”

अच्छी बात है अगर आपको लगता है कि आप किसी की कोई फिल्म या वेब सीरीज़ नहीं देखना चाहते या कोई उत्पाद नहीं खरीदना चाहते तो आप बिल्कुल ऐसा कर सकते हैं, आपको पूरा अधिकार है कि आप अपने अनुसार चीज़ों को परखें और उन्हें खरा न पाएं तो बिल्कुल उनके प्रयोग को नकार दें।

लेकिन अभी क्या हो रहा है इस बात तो थोड़ा समझने का हम प्रयास करेंगे, अभी अक्षय कुमार की एक फिल्म आ रही है जिसका विरोध हो रहा है और उसके बहिष्कार की भी बात की जा रही है, यहां तक तो बात ठीक है क्योंकि आपको किसी फिल्म की कथा पटकथा, कहानी और पृष्ठभूमि ठीक न लगे तो लगे तो आप बिल्कुल वह फिल्म न देखें और अगर आपकी भावनाएं फिल्म के नाम को लेकर या किसी दृश्य को लेकर आहत हुईं हैं तो बहिष्कार भी कर सकते हैं और बहिष्कार की अपील भी कर सकते हैं यह आपका अधिकार है कि किसी अनुचित बात का विरोध कर सकते हैं।

हमारे यह सब करने के राजनीतिक या समाजिक लक्ष्य क्या हैं??

हमारे इस विरोध का और किसी चीज़ के बहिष्कार का अर्थ क्या है एवं इसका उद्देश्य क्या हैं??

 इसके क्या राजनीतिक अर्थ हैं??

हम ऐसा करके क्या संदेश देना चाहते हैं??

यही न कि हमारी सभ्यता संस्कृति और सांस्कृतिक मूल्यों से अगर कोई छेड़छाड़ की जाएगी या उनका उपहास किया जाएगा तो हमसे किसी भी प्रकार के समर्थन की आशा न रखें।

बात ठीक भी है कि अनावश्यक रूप से हमारी संस्कृति का उपहास क्यों किया जाए?

फिर वास्तविक समस्या क्या है??

वास्तविक समस्या यह है कि हम फिल्म का विरोध तो कर ही रहे हैं लेकिन साथ में फिल्म के कलाकारों को भी लपेटे में ले रहे हैं।

अब आपका प्रश्न होगा कि अगर ऐसे काम करेगा तो लोगों का गुस्सा तो झेलना ही पड़ेगा।

चलिए ठीक है मान लिया कि आप अपना रोष प्रकट कर रहे हैं लेकिन अगर उस कलाकार की विचारधारा को देखा परखा जाए और समझा जाए तो मेरा प्रश्न आप सबसे यह है कि उस व्यक्ति की विचारधारा को ध्यान में रखकर मात्र उसके किए गए ग़लत कृत्य का विरोध होना चाहिए और उस पर रोष प्रकट करना चाहिए या फिर उस व्यक्ति के ही विरोध और बहिष्कार की घोषणा प्रारंभ कर देनी चाहिए??

 उसकी पूरी विचारधारा, जो कि आपकी ही विचारधारा के समान है उस विचारधारा के व्यक्ति को ही आप #फर्ज़ीराष्ट्रवादी जैसे ट्रेंड चलाकर उसकी राष्ट्र और समाज के प्रति विचारधारा पर ही प्रश्नचिन्ह खड़े कर देंगे और उसे राष्ट्रवाद की विचारधारा का नाटक करने वाला सिद्ध करने का प्रयास करने लगेंगे??

यही हमारी कमज़ोरी है हम लोगों को सर आंखों पर तो बिठा लेते हैं लेकिन एक ग़लती होने की बस देर है और हम उस व्यक्ति का हाथ ही छोड़ देते हैं।

सब जानते हैं कि अक्षय कुमार की क्या विचारधारा है या सुशांत सिंह राजपूत किस तरह का व्यक्ति था और विद्युत जामवाल किस तरह का व्यक्ति है।

गौ और गौमूत्र के नाम पर हल्ला मचाने वाले बहुत हैं पर इतना बड़े स्थान पर होने बावजूद कोई खुलकर अगर स्वीकार करता है कि हां मैं प्रतिदिन सुबह आयुर्वेदिक कारणों से गौमूत्र का सेवन करता हूं वो व्यक्ति है “अक्षय कुमार”।

जहां तक मेरा विचार है, आसान नहीं है किसी भी व्यक्ति का इतनी सहजता से यह स्वीकार करना कि कोई व्यक्ति प्रतिदिन गौमूत्र का सेवन करता है जबकि उस विषय से कई राजनीतिक पहलू भी जुड़ चुके हों क्योंकि सबको पता है कि इस बात को स्वीकार करने मात्र से ही आपका कितना मज़ाक उड़ाया जा सकता है, आपकी कितनी ट्रोलिंग की जा सकती है ऐसे में भी यह इतनी सहजता से ऐसी बात स्वीकार कर लेना‌ ही व्यक्ति की मंशा और विचारधारा को दर्शाता है और अपनी विचारधारा को सही सिद्ध करने के लिए कोई करोड़ों रुपए यूं ही दान नहीं कर देता न??

याद तो आप सबको होगा कि “पीएम केयर्स फंड” में पच्चीस करोड़ रुपए की राशि किसने दान की थी और वीरगति को प्राप्त हुए जवानों की सहायता के लिए सबसे पहले कौन आगे आता है और सरकार के साथ मिलकर “भारत के वीर” ऐप किसने बनाया और प्रत्येक संकट में देश के लिए कौन आगे आता है।

अब कोई सिर्फ यह सिद्ध करने के लिए तो करोड़ों रुपए तो खर्च नहीं कर देगा कि वह फलां फलां विचारधारा का व्यक्ति है।

सुशांत से भी जनता इस तरह की फिल्में करने से थोड़ी कट सी गई थी और अभी “विद्युत जामवाल” को भी ऐसी फिल्में दी जा रही हैं और अगर विद्युत जामवाल की विचारधारा देखेंगे तो वो कई ऐसी वीडियोज़ यूट्यूब पर साझा करते रहते हैं जिससे आपको अंदाज़ा हो जाएगा कि वो प्राचीन भारतीय युध्द कला, प्राचीन भारतीय जीवन-शैली और प्राणीमात्र के प्रति प्रेम के पक्षधर हैं।

एक बात और है कि फिल्म में क्या दिखाया जा रहा है उसमें अभिनेता और अभिनेत्रियों का कोई भी हस्तक्षेप नहीं होता है, फिल्म शुरू होने से पहले ही उनसे

कानूनी दस्तावेजों पर हस्ताक्षर ले लिए जाते हैं जिनका पालन न करने पर निर्माता उन पर कानूनी कार्रवाई भी करने के लिए स्वतंत्र होते हैं।

अब “लाल बहादुर शास्त्री” की रहस्यमय मृत्यु पर आधारित विवेक अग्निहोत्री द्वारा निर्देशित फिल्म “ताशकंद फाइल्स” को ही देख लीजिए जिसमें “नसीरुद्दीन शाह” ने भी काम किया है और “अजय देवगन” अभिनीत “तानाजी” फिल्म में “सैफ अली खान” ने भी काम किया है जिन्होंने एक इंटरव्यू में यह तो कहा था कि मैं नहीं मानता कि यह सही इतिहास है।

हम सब जानते हैं कि इन दोनों की विचारधारा किस तरह की है  लेकिन इन दो लोगों से उनकी विचारधारा के किसी भी व्यक्ति ने क्या यह कहा कि हम आज के बाद आपकी फिल्में नहीं देखेंगे??

एक भी व्यक्ति ने नहीं क्योंकि उनको साफ साफ पता है कि उनको क्या करना है, उनकी रणनीति क्या है उन्हें कोई उलझन नहीं है कि उन्हें क्या करना है।

इसीलिए मेरा मानना है कि इस तरह के मामलों में हम लोगों से अच्छी रणनीति और स्थिति तो “वामपंथियों और अर्बन नक्सलियों” की है वो कम से कम उनकी विचारधारा के लोगों का हाथ तो नहीं छोड़ते।

क्या हमने कभी यह सोचा है कि मात्र एक दो ग़लत फिल्में चुन लेने से अगर हम अपनी ही विचारधारा के अभिनेताओं – अभिनेत्रियों का बहिष्कार कर कर के उनका काम धंधा चौपट कर देंगे तो इतने बड़े मंच “हिंदी फिल्म उद्योग” में हमारी विचारधारा का प्रतिनिधित्व करने वाले लोग तो बचेंगे ही नहीं और हम एक बहुत बड़ा मंच भी खो देंगे।

जिस गति से हम राष्ट्रवादी विचारधारा के लोगों के भी बहिष्कार की बात कर रहे हैं उस हिसाब से हमारे साथ अंत में कोई भी खड़ा नहीं दिखेगा और पूरी विचारधारा ही खंड खंड हो जाएगी।

यह बात सिनेमा के अतिरिक्त अन्य क्षेत्रों में भी लागू होती है।

एक बात हमेशा हमें याद रखनी चाहिए कि हमारे घर का बेटा यदि कोई ग़लती करता है तो उसे डांट डपट कर समझाते हैं न कि उसे सीधा घर से निकाल देते हैं।

फिल्म पर अपना रोष प्रकट कीजिए लेकिन उन लोगों का कम से कम बहिष्कार मत कीजिए जो देशहित की विचारधारा रखते हैं।

अगर बात कड़वी लगी हो तो क्षमा करें पर यह बात कहना मुझे आवाश्यक लगी इसीलिए कह दी।

इस पर थोड़ा विचार करें और इसे मानना या मानना मैं आप पर छोड़ता हूं 🙏🙏🙏

हर हर महादेव 🙏🙏🙏