दान

सामान्यतया आदमी दान का मतलब किसी को धन देने से लगा लेता है। धन के अभाव में भी आप दान कर सकते हैं। तन और मन से किया गया दान भी उससे कम श्रेष्ठ नहीं अपितु उससे श्रेष्ठ है।।

किसी भूखे को भोजन, किसी प्यासे को पानी, गिरते हुए को संभाल लेना, किसी रोते बच्चे को गोद में उठा लेना, किसी अनपढ़ को इस योग्य बना देना कि वह स्वयं हिसाब किताब कर सके और किसी वृद्ध का हाथ पकड़ उसके घर तक छोड़ देना यह भी किसी दान से कम नहीं है। वह हर कदम जिससे आप किसी का भी थोड़ा सा भार हर लेते हो वह दान है।।

हम किसी को उत्साहित कर दें, आत्मनिर्भर बना दें या साहसी बना दें, यह भी दान है। अगर आप किसी को कोई भी तरह का दान न दे पायें तो
अपनी मुस्कान का दान ज़रूर दें। आपकी दी गयी मुस्कान का अक्स आप दूसरे मनुष्य के चेहरे पर सहज ही देखेंगे व उस क्षण आपको अपनी उस मुस्कान की बहुमूल्यता ज्ञात हो जाएगी।।

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