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Jokes:
हंस हंस कर पेट दुख जाएगा …. 😁😆😛
एक छात्र ने संस्कृत के शिक्षक से पूछा कि
गुरुजी …
एरिक तम नपाम्रधू।
एरिक तम नपाद्यम।।
इस श्लोक का अर्थ क्या होता है … ?
गुरूजी ने यह श्लोक सभी संस्कृत की पुस्तकों एवं ग्रंथों में खूब ढूंढा ,
सभी संस्कृत के ज्ञाताओं से भी इस श्लोक का अर्थ पूछा,
खूब मेहनत की, रात दिन एक कर दिए ….
लेकिन कहीं भी इसका अर्थ उन्हें नहीं मिला !!
लेकिन छात्र उनसे बार बार यही प्रश्न पूछता …
अब तो गुरुजी छात्र को देखकर अपना रास्ता ही बदल देते थे … !!
आखिर हारकर गुरुजी ने छात्र से पूछा कि बताओ यह श्लोक तुमने कहां पढ़ा … ?
तब छात्र ने कहा कि उसने यह श्लोक प्रिंसिपल के केबिन के बाहर पढ़ा …
गुरुजी उसे तत्काल प्रिंसिपल के कैबिन की ओर ले गए !!
वहां छात्र ने उन्हें वह श्लोक कांच के गेट पर लिखा हुआ दिखाया….
गुरुजी ने छात्र को चप्पल टूटने तक मारा … 😛😜😆
क्योंकि वह कांच की उल्टी साइड से पढ़ रहा था …
सीधी साइड पर लिखा था …
धूम्रपान मत करिए।
मद्यपान मत करिए।।
जलेबीनामा..
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चौकोर समोसे, ठोस कड़ी आइसक्रीम, च्युंगम के टक्कर की रसमलाई और छेनी-हथौड़ी से तोड़कर खाने लायक खस्ता (कचौड़ी) की अपार सफलता के बाद, आज पत्नी ने जलेबी बनाने में प्रयुक्त होने वाली सामिग्री की लिस्ट थमाते हुए कहा, “आज खाना-वाना नही बनेगा। कल ही जलेबी बनाना यू ट्यूब से सीखा है। फटाफट ये सब ले आओ। गरमागरम जलेबी बनाएंगे।”
मैंने चुपचाप लिस्ट जेब के हवाले की और ये सोचता हुआ निकल पड़ा कि कोरोना से भारत में मृत्युदर भले ही तीन प्रतिशत है पर हलवाई बनने की दर 97 प्रतिशत से अधिक ज़रूर है। जिस प्रकार वैज्ञानिक नयी दवा का प्रयोग सर्वप्रथम चूहों पर करते है, ठीक उसी तर्ज पर पत्नियां नयी डिश का पति पर।
दुकानदार ने सामान का थैला पकड़ाते हुए बताया कि, “सारा सामान दे दिया है, सिर्फ ईनो मेरे पास नहीं है, उसकी शीशी सामने मेडिकल स्टोर से खरीद लेना।”
मेडिकल स्टोर पर ज्ञात हुआ कि जब से लॉक डाउन शुरू हुआ है ईनो कि खपत बढ़ गई है। सप्लाई कम है, इसलिए डाइजीन से काम चलाओ। ईनो से डाइजीन अधिक एफेक्टेबल होता है। मुझे मालूम था कि कैमिस्ट हमेशा जो दवा उनके पास नहीं होती है उसका सबटिट्यूट दे देते है सो बिना किसी हील-हुज्जत के मैंने एक बड़ी शीशी डाइजीन की खरीद ली।
झोले से डाइजीन की शीशी निकलते ही पत्नी ने मुझे फिर अहसास दिलाया कि मैं नितांत मूर्ख हूँ, 25 साल पहले शादी में उसे चढ़ावे के समय जो हार दिया गया था, वह बिल्कुल हल्का था, दहेज की मोटर साइकिल मेरी मूर्खता के कारण चोरी हुई थी। दो साल पहले भूकंप से घर के पीछे की दीवार मेरी ही गलती के कारण गिरी थी, अगर मैंने ठीक से उसकी तराई की होती तो दीवार मजबूत होती। ये तो वो है, जो निर्वाह कर रही है, अगर कोई और होती तो…….. फिर अंत मे उसने बताया कि, “जलेबी को करारी करने के लिए ईनो डाला जाता, कोई डाईजीन-वाईजीन नहीं ।”
मैंने कातर भाव से कहा, “कैमिस्ट कह रहा था कि डाइजीन ईनो से अच्छा काम करता है। एक बार ट्राई करने में क्या हर्ज है।”
उसने दांत भींचकर कहा “अरे उसे क्या मालूम कि जलेबी बनाने के लिए ईनो मांग रहे हो। वो तो तुम्हारा चेहरा देख कर समझा होगा कि कब्ज है, ईनो नहीं था तो डाइजीन पकड़ा दी। दूसरी दुकान से चुपचाप ईनो लेकर आओ।”
खैर….. ईनो आया, जलेबी की पहली खेप मेरे सामने डाली गई। बाकी तो ठीक था पर जलेबी पतली अधिक थी और चाशनी थोड़ी मोटी। इसलिए जलेबी के अंदर ठीक से प्रविष्ट नही हो पायी थी। मैंने पत्नी से आग्रह किया कि “एक कटोरी चाशनी दे दो।”
पत्नी ने “क्यों” के आगे चार-पांच प्रश्नचिन्ह लगाकर फौरन कारण जानना चाहा।
मैंने डरते हुए कहा, “जलेबी मैं हूँ और चाशनी तुम। दोनों का ठीक से मिलन नही हो पा रहा है। अगर कटोरी में चाशनी मिल जाती तो बीच-बीच में सुड़कता रहता। जलेबी भी मीठी लगती।”
“मतलब जलेबी पतली है तो चाशनी भर नहीं रही है अंदर। यही ना ?” कहते हुए उसने कोन का छेद कैची से काटकर बड़ा कर दिया।
ये क्या…… अब एक-एक गोला दो-दो , तीन-तीन पाव के बनने लगे । पूरे घर में हाय तौबा मच गई। छोटे से लेकर बड़े तक सबने मुझपर चढ़ाई कर दी। सारा दोष मुझ पर मढ़ दिया गया। फिर मेरे साथ जो हुआ उसके परिणाम स्वरूप मैं कैमिस्ट के यहां मूव लेने जा रहा हूँ। मुझे मालूम है, वह मूव की जगह आयडेक्स पकड़ा देगा, आजकल मूव की भी तो कमी चल रही होगी।
Poem on Corona
By: Anonymous
दुनिया लेके बैठी थी परमाणु
और ठोक गया एक कीटाणु
🤣🤣🤣🤣🤣🤣😂🤣: कल रात सपने में आया कोरोना….
उसे देख जो मैं डरा… 😢
तो मुस्कुरा 😊 के बोला :– मुझसे डरो ना…।।
कितनी अच्छी है तुम्हारी संस्कृति…
न चूमते, न गले लगाते…
दोनों हाथ जोड़ कर तुम स्वागत करते…।।
वही करो ना…
मुझसे डरो ना…।
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कहाँ से सीखा तुमने ??
रूम स्प्रे, बॉडी स्प्रे…
पहले तो तुम धूप, दीप, कपूर, अगरबत्ती, लोभान जलाते…
वही करो ना…
मुझसे डरो ना…।।।
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शुरू से तुम्हें सिखाया गया…
अच्छे से हाथ पैर धोकर घर में घुसो…
मत भूलो अपनी संस्कृति…
वही करो ना…
मुझसे डरो ना…।।
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सादा भोजन उच्च विचार…
यही तो है तेरे संस्कार…
उन्हें छोड़ जंक फूड फ़ास्ट फूड के चक्कर में पड़ो ना…
मुझसे डरो ना…।।
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शुरू से ही पशु पक्षियों को पाला पोसा प्यार दिया…
रक्षण की है तुम्हारी संस्कृति…,
उनका भक्षण करो ना…
मुझसे डरो ना… ।।
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कल रात सपने में आया
कोरोना…
बोला…
अपनी संस्कृति का ही पालन करो ना…
मुझसे डरो ना… ।।।।।