1- रसोई घर के पास में पेशाब करना ।
2- टूटी हुई कन्घी से कंगा करना ।
3- टूटा हुआ सामान उपयोग करना।
4- घर में कूडा – कचरा रखना।
5- रिश्तेदारो से बदसुलूकी करना।
6- प्रथम बांए पैर से पैंट,पायजामा, जूते चप्पल आदि पहनना।
7- संध्या वेला मे सोना।
8- मेहमान आने पर नाराज होना।
9- आमदनी से ज्यादा खर्च करना।
10-दाँत से रोटी काट कर खाना।
11-चालीस दीन से ज्यादा बाल रखना ।
12-दांत से नाखून काटना।
14- महिलाओं का खड़े खड़े बाल संवारना/बांधना।
15 -फटे हुए कपड़े पहनना ,चाहे वह जीन्स ही क्यों न हो ।
16-सुबह सूरज निकलने तक सोते रहना।
17- पेड़ के नीचे पेशाब करना।
18- उल्टा सोना।
19-श्मशान भूमि में हँसना या खेलना ।
20- पीने का पानी रात में खुला रखना ।
21- रात में मांगने वाले को कुछ ना देना ।
22-बुरे नकारात्मक विचार रखना ।
23-अपवित्र अवस्था में धर्मग्रंथ पढ़ना।
24-शौच करते वक्त बात करना।
25- हाथ धोए बगैर भोजन करना ।
26- हर समय अपनी सन्तान को कोसना।
27-दरवाजे पर बैठकर खाना पीना ।
28- लहसुन प्याज के छिलके जलाना।
29-संत, गुरु ब्राह्मणों ,बुजुर्गों आदि पूज्य जनों का अनादर करना ।
30- फूक मार के दीपक बुझाना।
31- ईश्वर को धन्यवाद किए बिना भोजन करना।
32- झूठी कसम खाना।
33-जूते चप्पल उल्टा देख कर उसको सीधा न करना।
34-मंगलवार, शनिवार संक्रांति अमावश्या, बुजुर्गों के श्राद्ध के दिन दाड़ी बाल आदि क्षौर हजामत करना ,तेल मालिस करना ।
35- मकड़ी का जाला घर में रखना।
36- रात को झाडू लगाना।
37- अन्धेरे में भोजन करना ।
38- देव ब्राह्मणों आदि पूज्य जनों को झूठा देना ।
39- धर्मग्रंथ न पढ़ना ।
40- नदी, तालाब में शौच साफ करना और उसमें पेशाब करना ।
41- गाय , बैल को लात मारना ।
42-माँ-बाप की सेवा न करके , अपमान करना ।
43-किसी की गरीबी और लाचारी का मजाक उड़ाना ।
44- दाँत, बाल कपड़े गंदे रखना और नित्य स्नान न करना ।
45- बिना स्नान किये और संध्या के समय भोजन करना ।
46- पडोसियों का अपमान करना, गाली देना ।
47-मध्यरात्रि में भोजन करना ।
48-गंदे बिस्तर में सोना ।
49-हर समय वासना और क्रोध से भरे रहना एवं
50-दूसरे को अपने से हीन समझना आदि ।
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शास्त्रों में वर्णित है कि जो दूसरों का भला करता है।
ईश्वर उसका भला करता है।
परोपकाराय पुण्याय पापाय पर पीडनम्
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पं. भगवती प्रसाद सेमवाल आचार्य
(कथावक्ता, वास्तुविद् एवं ज्योतिषाचार्य)